दो बालसखाओं ने, बड़ाबाजार की लगभग 200 वर्ष पुरानी जिस मल्लिक कोठी से अपनी औद्योगिक यात्रा का श्रीगणेश करते हुए अपने सपनों को साकार किया था, उसे कृतज्ञता ज्ञापन के रूप में उन्होंने श्री गणेशजी के चरणारविन्द में अर्पित कर दिया।
श्री राधेश्याम अग्रवाल एवं श्री राधेश्याम गोयनका ने बड़ाबाजार के जिस भवन से अपनी औद्योगिक यात्रा, इमामी का श्रीगणेश किया था, उसे कृतज्ञता ज्ञापन के रूप में उन्होंने लोक-कल्याण के उद्देश्य से, श्रीसिद्धिविनायक के चरणारविन्द में अर्पित करने का निर्णय लिया।
निर्णय को मूर्त रूप देने के लिए, सन् 2015 में, जीर्णशीर्ण अवस्था में आ गई इस कोठी को खरीद लिया। इसके स्थापत्य को हू-ब-हू रखते हुए, उन्होंने इसका पुनर्निर्माण कराया है। यह कोठी, ब्रिटिश कालीन कोलकाता की कोठियों में अपना विशिष्ट स्थान रखती है।
देवस्थानम् के बड़े हिस्से में, समाज सेवा के विविध प्रकल्प चलाये जा रहे हैं। इनमें स्वास्थ्य सेवाएँ भी हैं, रोजगारपरक तथा कौशल विकास केन्द्र भी हैं।
शुक्रवार, दिनांक 28 फरवरी 2020 के दिन, देवस्थानम् को श्रीसिद्धिविनायक के श्रीचरणों में अर्पित कर दिया गया।
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